
रामायण की कथा में लंका दहन (Lanka Dahan) का प्रसंग सबसे रोमांचक और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह प्रसंग न केवल भगवान राम की लीला को आगे बढ़ाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि असत्य और अहंकार का अंत निश्चित है।
लंका में आग किसने लगाई?
लंका में आग हनुमान जी ने लगाई थी।जब हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका पहुँचे, तब उन्होंने अशोक वाटिका में माता सीता को देखा।उन्होंने सीता माता को भगवान राम का संदेश दिया और उन्हें आश्वस्त किया।इसके बाद हनुमान जी ने लंका में अपनी शक्ति दिखाते हुए कई राक्षसों का वध किया।

हनुमान जी को कैद क्यों किया गया?
रावण के सैनिकों ने हनुमान जी को पकड़कर रावण के दरबार में पेश किया।रावण ने उनका मजाक उड़ाते हुए आदेश दिया कि उनकी पूँछ में आग लगा दी जाए।रावण सोचता था कि इससे हनुमान जी अपमानित होंगे।
लंका में आग कैसे लगी

जब रावण के आदेश पर हनुमान जी की पूँछ में कपड़े बाँधकर तेल डालकर आग लगाई गई, तो हनुमान जी ने अपने दिव्य स्वरूप का विस्तार कर लिया।उन्होंने अपनी जलती हुई पूँछ से पूरी लंका नगरी में उछल-कूद मचाई और देखते ही देखते सोने की नगरी लंका को जला डाला।हनुमान जी ने यह सब सीता माता के अपमान और रावण के अहंकार के प्रतिकार स्वरूप किया।
लंका दहन क्यों हुआ?
सीता हरण का प्रतिशोध लेने के लिए।रावण को चेतावनी देने के लिए कि अधर्म का अंत निश्चित है।भगवान राम की सेना की शक्ति का आभास कराने के लिए।ताकि पूरी लंका को अहसास हो कि राक्षसों का साम्राज्य सुरक्षित नहीं है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

लंका दहन हमें यह सिखाता है कि –अन्याय और अहंकार का नाश अवश्य होता है।भगवान के भक्तों की शक्ति अपार होती है।धर्म और सत्य की रक्षा के लिए कभी-कभी कठोर कदम उठाने आवश्यक होते हैं।
निष्कर्ष
लंका में आग हनुमान जी ने लगाई थी। यह केवल एक युद्धनीति नहीं थी, बल्कि एक संदेश भी था कि अधर्म चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, धर्म और सत्य की विजय निश्चित है।
