
हिमाचल प्रदेश देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध है, जहाँ हर गाँव-गाँव में देवी-देवताओं के मंदिर और उनसे जुड़ी पौराणिक कथाएँ मिलती हैं। इन्हीं में से एक है लंकड़ा वीर मंदिर, समरकोट, जो स्थानीय लोगों की गहरी आस्था और लोक संस्कृति का केंद्र है।
लंकड़ा वीर कौन थे ?
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, लंकड़ा वीर एक लोकदेवता हैं जिनकी गाथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती रही हैं। माना जाता है कि वे न्यायप्रिय और साहसी योद्धा थे। गाँव में किसी भी विवाद या समस्या का निवारण उनकी शरण में जाकर किया जाता है। लोग विश्वास करते हैं कि सच्चे मन से की गई प्रार्थना यहाँ कभी व्यर्थ नहीं जाती।
मंदिर की विशेषता

स्थान: लंकड़ा वीर मंदिर हिमाचल प्रदेश के समरकोट गाँव में स्थित है।
मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक पहाड़ी शैली की झलक देती है। लकड़ी और पत्थर से बने इस मंदिर में लोककला और कारीगरी का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।यहाँ हर साल विशेष जगर (जागरण) और मेलों का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दराज़ से भक्त शामिल होते हैं।
लोक आस्था और मेले
लंकड़ा वीर मंदिर में सालाना मेला पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। ढोल-नगाड़ों, करनाल और नृत्य-गान की ध्वनियाँ पूरे वातावरण को दिव्य बना देती हैं। इस अवसर पर गाँव के लोग एकजुट होकर पारंपरिक वेशभूषा में देवता का आशीर्वाद लेने पहुँचते हैं।
क्यों करें लंकड़ा वीर मंदिर की यात्रा?
यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण आत्मा को सुकून देते हैं
लंकड़ा वीर देवता के आशीर्वाद से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होने का विश्वास किया जाता है।
स्थानीय संस्कृति, परंपरा और लोकनृत्यों का अनुभव करने का यह बेहतरीन स्थान है।
पहुँचने का मार्ग
समरकोट तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। नज़दीकी कस्बे से टैक्सी और बस सेवाएँ उपलब्ध रहती हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए हल्की चढ़ाई करनी पड़ती है, लेकिन रास्ते में दिखाई देने वाले पहाड़ और हरियाली सफर को यादगार बना देते हैं।
निष्कर्ष
लंकड़ा वीर मंदिर, समरकोट न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हिमाचली लोकसंस्कृति और परंपराओं की आत्मा को भी दर्शाता है। यदि आप हिमाचल की अनूठी संस्कृति और देव परंपरा को करीब से देखना चाहते हैं, तो यहाँ की यात्रा अवश्य करें
