रावण, रामायण का सबसे प्रसिद्ध राक्षस राजा, एक जटिल और बहुआयामी व्यक्तित्व था। वह शक्ति, विद्या और भक्ति का अद्भुत संगम था।
रावण का जन्म और वंश

रावण का जन्म विश्रवा ऋषि और कैकेसी के घर हुआ था। इस प्रकार वह ब्राह्मण वंश और राक्षस वंश दोनों से संबंधित था, इसलिए उसे “ब्रह्मण-राक्षस” कहा जाता है।
रावण और कुबेर: सौतेले भाई

रावण और कुबेर का रिश्ता भी काफी रोचक है। दोनों ही विश्रवा ऋषि के पुत्र थे।रावण का राक्षस पक्ष था औरकुबेर का दिव्य पक्ष।कुबेर धन और वैभव के देवता माने जाते हैं। पौराणिक कथाओं में, रावण ने कभी-कभी कुबेर के स्वर्ग और वैभव पर विजय पाने की कोशिश की, लेकिन कुबेर सुरक्षित रहे।
रावण और शिव भक्ति
रावण भगवान शिव का अत्यंत बड़ा भक्त था। उसकी भक्ति इतनी गहरी थी कि उसने शिव तांडव स्तोत्र की रचना की। कहा जाता है कि रावण ने अपने दस सिर और बीस हाथों से यह स्तोत्र उच्चारित किया। इस स्तोत्र में शिव के तांडव नृत्य, उनकी शक्ति और वैभव का वर्णन है।
रावण की बहन शूर्पणखा

रावण की बहन शूर्पणखा बहुत सुंदर और महत्वाकांक्षी थी। राम और लक्ष्मण से उसका विवाद हुआ। शूर्पणखा ने सीता पर हमला किया, लेकिन लक्ष्मण ने उसका नाक और कान काट दिए।इस अपमान का बदला लेने के लिए रावण ने ठान लिया कि वह सीता का हरण करेगा।
सीता हरण की कथा

रावण ने सीता हरण की योजना बड़े चालाकी से बनाई:1. मायावी रूप धारण कर सीता को भ्रमित किया।2. राम और लक्ष्मण को अलग कर दिया।3. सीता अकेली होने पर पुष्पक विमान में उसे लंका ले गया।यह कृत्य रामायण के युद्ध का मुख्य कारण बन गया।—रावण का व्यक्तित्व अत्यंत जटिल था:एक ओर वह शिव भक्त और विद्वान ब्राह्मण था,तो दूसरी ओर वह लंका का शक्तिशाली राक्षस राजा और सीता हरणकर्ता भी।उसकी कहानी हमें भक्ति, शक्ति और अहंकार के महत्व और परिणामों की महत्वपूर्ण सीख देती है।
