
भारत में शक्ति के प्रमुख पीठों में से एक है माँ चिंतपूर्णी मंदिर, जो हिमाचल प्रदेश के ऊना ज़िले में स्थित है। यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था और भक्ति का अद्भुत केंद्र है। मान्यता है कि यहाँ आने वाले श्रद्धालु अपनी सभी चिंताओं से मुक्त होकर सुख और शांति प्राप्त करते हैं। इसी कारण इनका नाम माँ चिंतपूर्णी पड़ा।
🙏 माँ चिंतपूर्णी का इतिहास
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब देवी सती का शरीर भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से 51 हिस्सों में विभाजित हुआ, तब उनका पाँव का हिस्सा यहाँ गिरा। यही स्थान शक्ति पीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ और यहाँ माँ को चिंतपूर्णी देवी के नाम से पूजा जाने लगा।
🌺 माँ चिंतपूर्णी का स्वरूप

माँ चिंतपूर्णी को “चिंताओं का नाश करने वाली देवी” कहा जाता है। यहाँ देवी की प्रतिमा पिंडी रूप में विराजमान है। भक्त गहरी श्रद्धा से माता का पूजन करते हैं और अपनी मनोकामनाएँ माँ के चरणों में अर्पित करते हैं।
🪔 माँ चिंतपूर्णी मंदिर का महत्व
. माना जाता है कि यहाँ आने से सभी प्रकार की चिंताएँ और कष्ट दूर हो जाते हैं।
2. भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
3. यहाँ की यात्रा करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
4. नवरात्रि के दौरान यहाँ लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन करने पहुँचते हैं।
📍 कैसे पहुँचें माँ चिंतपूर्णी मंदिर?

यह मंदिर ऊना ज़िले में स्थित है।नज़दीकी रेलवे स्टेशन ऊना और अंब हैं।सड़क मार्ग से मंदिर तक पहुँचना बहुत आसान है क्योंकि यहाँ बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध रहती है।
✨ माँ चिंतपूर्णी की आराधना विधि
प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।माँ को लाल फूल, नारियल, चुनरी और मिठाई अर्पित करें।माता का ध्यान करते हुए अपनी मनोकामना प्रकट करें।श्रद्धा और भक्ति से पूजा करने पर माँ अवश्य प्रसन्न होती हैं।
🌟 निष्कर्ष
माँ चिंतपूर्णी मंदिर न केवल हिमाचल का एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ है बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था का अनमोल प्रतीक भी है। यहाँ आकर भक्त अपने जीवन की हर चिंता और दुख से मुक्ति पाकर सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त करते हैं।
👉 अगर आप कभी हिमाचल प्रदेश जाएँ तो माँ चिंतपूर्णी मंदिर के दर्शन अवश्य करें और माँ का आशीर्वाद प्राप्त करें।
