
नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। माँ का स्वरूप अत्यंत श्वेत, कोमल और दिव्य माना जाता है। महागौरी जी का वर्ण चंद्रमा और शंख की भाँति उज्ज्वल है। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और सिंह पर सवार रहती हैं। माँ महागौरी के चार भुजाएँ हैं – दाएँ हाथ में त्रिशूल और वरमुद्रा तथा बाएँ हाथ में डमरू और अभयमुद्रा शोभा देती हैं।
नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी की उपासना को समर्पित है। मां दुर्गा का यह रूप अपनी अद्भुत कांति, शांति और सौम्यता के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि मां महागौरी की उपासना करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🪔 मां महागौरी का स्वरूप

मां महागौरी अत्यंत गौरवर्ण, श्वेत वस्त्र धारण किए हुए और चार भुजाओं वाली देवी हैं। उनके हाथों में त्रिशूल और डमरू रहता है, जबकि वे वर और अभय मुद्रा में भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। उनकी सवारी बैल (वृषभ) है, इसलिए इन्हें वृषभवाहिनी भी कहा जाता है।
🙏 मां महागौरी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव को पाने के लिए मां पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। इस तपस्या से उनका शरीर काला हो गया। जब भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से स्नान कराया तो उनका रूप अत्यंत गौरवर्ण और कांतिमय हो गया। इसी रूप में वे मां महागौरी कहलाईं।
🌼 मां महागौरी की पूजा विधि

नवरात्रि के आठवें दिन भक्त मां महागौरी की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।मां की प्रतिमा या चित्र को श्वेत वस्त्र, फूल और अक्षत से सजाएं।मां को सफेद फूल, नारियल और मिश्री का भोग लगाएं।”ॐ देवी महागौर्यै नमः” मंत्र का जप करें।कन्या पूजन करना इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
🌟 मां महागौरी के पूजन का महत्व
मां महागौरी की कृपा से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।दांपत्य जीवन में सुख-शांति और प्रेम बढ़ता है।पाप नष्ट होते हैं और मन शुद्ध होता है।भक्तों को धन, ऐश्वर्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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