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माँ बगलामुखी – संकट नाशिनी और विजय प्रदायिनी

माँ बगलामुखी हिंदू धर्म की दस महाविद्याओं में आठवीं विद्या मानी जाती हैं। इन्हें संकटों को दूर करने वाली और शत्रुओं का नाश करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। “बगलामुखी” का अर्थ है – वाणी और शत्रुओं को स्थिर कर देना। माँ की कृपा से साधक को हर प्रकार के विवाद, मुकदमे, और शत्रु बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

माँ बगलामुखी का स्वरूप

माँ पीतवर्णा (पीले रंग की) हैं और पीले वस्त्र धारण करती हैं। इनके एक हाथ में गदा है और दूसरे हाथ से वे शत्रु की जिह्वा पकड़ती हैं। माँ का यह रूप दर्शाता है कि वे दुष्ट और असत्य पर अंकुश लगाकर धर्म और सत्य की रक्षा करती हैं।

माँ बगलामुखी की पूजा का महत्व

शत्रु और बाधाओं से मुक्ति दिलाती हैं।कोर्ट-कचहरी, वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है।व्यवसाय और नौकरी में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं।मानसिक शांति और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि

प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र पहनें।

माँ बगलामुखी की प्रतिमा या चित्र पर हल्दी, पीले पुष्प और पीले वस्त्र अर्पित करें।”ॐ ह्लीं बगलामुख्यै नमः” मंत्र का जाप करें।प्रसाद के रूप में बेसन के लड्डू या चने की दाल अर्पित करना शुभ माना जाता है।

माँ बगलामुखी की कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब पृथ्वी पर दैत्य अत्याचार करने लगे, तब भगवान विष्णु ने माँ बगलामुखी की आराधना की। माँ प्रकट होकर उन्होंने दैत्यों का नाश किया और धर्म की रक्षा की। तभी से भक्तजन उन्हें संकट निवारिणी और विजय प्रदायिनी मानकर पूजा करते हैं।

निष्कर्ष

माँ बगलामुखी शक्ति, साहस और विजय की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनकी आराधना से भक्त का जीवन भय और शत्रु बाधाओं से मुक्त होता है। जो साधक सच्चे मन से माँ की पूजा करते हैं, उनके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।

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