
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और धार्मिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। इन्हीं धरोहरों में से एक है तारा देवी मंदिर, जो समुद्र तल से लगभग 1851 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर माता तारा देवी को समर्पित है और शिमला आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।
तारा देवी मंदिर का इतिहास

तारा देवी मंदिर का निर्माण लगभग 250 साल पहले हुआ था। कहते हैं कि सेन वंश के राजा भवानी सेन माता तारा के परम भक्त थे। उन्होंने माता की मूर्ति को पश्चिम बंगाल से लाकर शिमला की इस पवित्र पहाड़ी पर स्थापित किया। तब से यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन गया।
माता तारा देवी का महत्व
हिंदू धर्म में माँ तारा को शक्ति का दूसरा स्वरूप माना जाता है। तारा देवी, भक्तों की सभी बाधाओं को दूर कर उन्हें सुख, समृद्धि और बल प्रदान करती हैं। शिमला का यह मंदिर “शक्ति पीठ” के रूप में भी प्रसिद्ध है और यहाँ नवरात्रि तथा अन्य विशेष पर्वों पर भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
वास्तुकला और वातावरण

मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक पहाड़ी शैली में बनी हुई है। लकड़ी और पत्थरों से बने इस मंदिर से शिमला शहर, बर्फ से ढके पहाड़ और हरे-भरे देवदार के जंगलों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।
तारा देवी मंदिर कैसे पहुँचें?
सड़क मार्ग – शिमला शहर से तारा देवी मंदिर लगभग 11 किलोमीटर दूर है। टैक्सी या स्थानीय बस से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
रेल मार्ग– कालका-शिमला टॉय ट्रेन से भी यात्री तारा देवी स्टेशन तक पहुँच सकते हैं, जो मंदिर से निकट है।
वायु मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा जुब्बड़हट्टी (Shimla Airport) है।
घूमने का सही समय
तारा देवी मंदिर पूरे वर्ष खुला रहता है। लेकिन अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर का समय यहाँ घूमने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। नवरात्रि के समय यहाँ भव्य मेले और विशेष पूजा का आयोजन होता है।
निष्कर्ष
तारा देवी मंदिर शिमला केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि शांति, आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है। यदि आप शिमला यात्रा पर हैं तो तारा देवी मंदिर की यात्रा अवश्य करें और माँ तारा के दर्शन करके अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव प्राप्त करें।
#taramata #taradevi #shimla #shoghi #temple #peace
